भूख तेरी दुनिया अज़ब
भूख तेरी दुनिया अज़ब
भूख रे भूख
कैसी तेरी दुनिया
अज़ब दिखे।
कैसी दुनिया
अज़ब सब खेल
भूख ही भूख।
कहीं है रोटी
कहीं है धन -मान
बिके ईमान।
तन की भूख
दानव है बनाता
हैं पाप कर्म।
रोटी की भूख
अन्तर्मन की पीड़ा
बूढ़ा लाचार।
तकती आँखें
झलकती लाचारी
मायूस मन।
मिले जो पैसे
देता है आशीर्वाद
भरेगा पेट।
पापी पेट है
उम्र का है सवाल
भिखारी बना ।
रोटी चाहिए
कमा नहीं सकता
माँगता भीख।
खुदा के नाम
गुज़ारता है दिन
औरों की दया।
दिल दुखता
जब जब दिखता
वह भिखारी ।
देख चुका हूँ
सिग्नल पर बैठाते
जवान बेटा ।
भूख रे भूख
कैसी तेरी दुनिया
अज़ब दिखे।
