कब क्षीण पड़े शक्ति शत्रु की, इसी चाह में - इसी राह में, गुमसुम सी कहीं गुम सी, चट्टानों के झरोखों स... कब क्षीण पड़े शक्ति शत्रु की, इसी चाह में - इसी राह में, गुमसुम सी कहीं गुम सी, ...
प्रेमिका रुठ जाये तो कैसे मनाये उसे...? हर प्रयास करता है प्रेमी उसे मनान् का... है ना...? और वो भी ... प्रेमिका रुठ जाये तो कैसे मनाये उसे...? हर प्रयास करता है प्रेमी उसे मनान् का......
आई फागुन रुत चहुँ दिशि छाई तो जौबन ले अँगड़ाई सखि री रुत होली की आई। आई फागुन रुत चहुँ दिशि छाई तो जौबन ले अँगड़ाई सखि री रुत होली की आई।
मुड़ मुड़ कर वो है फिर आया आकर मुझ को बहुत सताया! मुड़ मुड़ कर वो है फिर आया आकर मुझ को बहुत सताया!