सखि री रुत होली की आई
सखि री रुत होली की आई
आई फागुन रुत चहुँ दिशि छाई
तो जौबन ले अँगड़ाई
सखि री रुत होली की आई।
होली की रुत आई आई मेरे अँगना
कान्ह कुँवर झूला झूले मेरे पलना
तो पल पल लेऊँ बलाई
सखि री.............।
होली की रुत आई अलियाँ ओ गलियाँ
तिरछी नज़र मारे गौरी पे छलिया
तो बरजोरी करे हरजाई
सखि री.............।
होली की रुत आई आई मेरे गाँव में
फाग गाएँ नर नारी चंग की थाप पे
तो घर घर देत बधाई
सखि री............।
होली की रुत आई आई मेरे देश में
प्रियतम जाय बसे परदेस में
तो रंग भरी पाती लिखाई
सखि री..............।
होली की रुत आई रंग महल में
पिया संग गौरी डूबत रंग में
तो अंग अंग थिरकन छाई
सखि री ................।
