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Karuna Dashora

Abstract Others

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Karuna Dashora

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गीत तुम गाया करो

गीत तुम गाया करो

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ओ मेरे मन मीत तुम,

नव रंग बरसाया करो,

गीत तुम गाया करो।

  

जब गगन से अगन बरसे,

  जल उठे ये वसुंधरा,

  तुम मलय के वात सुरभित,

  बन के बह जाया करो।

  गीत तुम....।


मैं अमाँ की रात काली,

उसपे तारों की बिसात,

तुम पूनम के चाँद रोशन,

मुझ को कर जाया करो।

गीत तुम....।

  

मैं सुरों की सरस सरिता,

  भावों का उठता सा ज्वार,

  धरती पर नव सृजन हित,

  तुम मेघ बन जाया करो।

  गीत तुम....।


भावना के शुभ्र मोती,

और सुरों के सप्त तार,

प्रीत की ले रागिनी तुम,

ग़ज़ल बन जाया करो।

गीत तुम....।

  

  लम्बा एकाकी ये जीवन,

   और उदासी की है मार,

   आ के मेरे पास बैठो,

   दिल तो बहलाया करो।

    गीत तुम..।


मन के सारे मैल छोड़ो,

भूलो सारे द्वेष ओ राग,

अर्चना अभ्यर्थना के,

सुर में समझाया करो।

गीत तुम...।।




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