कहमुकरियां
कहमुकरियां
1 min
170
१
मुड़ मुड़ कर वो है फिर आया
आकर मुझ को बहुत सताया
जा नहीं सकती घर से बाहर
क्या सखि साजन? नहीं शीत लहर।
२
आकर मुझको ऐसे घेरे
राह न सूझे मन भटके रे
नज़रें हो जाती ज्यों कुंद
क्या सखि साजन? नहीं री धुंध।
३
मुझसे लिपट - लिपट जब जाए
उसे छोड़ फिर उठा न जाए
सारा दिन रहती अलसाई
क्या सखि साजन? नहीं रजाई।
४
मुड़ मुड़ कर वह फिर आ जाए
तन मन रोमांचित हो जाए
आके खोले द्वार किवाड़ा
क्या सखि साजन? नहीं री जाड़ा।