बसंत बहार
बसंत बहार
बसंत बहार माहिया
१आया सखी मधुमास महक रही धरती जागे पिय मिलन आस
२गुनगुनी धूप आई खिली खेत सरसों मौसम है सुखदाई
३पल्लवित हुई डाली आया अब बसंत दे दस्तक खुशहाली
४बगिया में फूल खिले रंगों की महफ़िल मकरंद सुगंध मिले
५ऋतुराज पुकार रहा आया शुभ फागुन अलि वृंद गुंजार रहा
६कोयल अब कूक रही सखि बसंत आया कुदरत भी मूक नहीं
७पीत चुनरिया सोहे सरसों फूल उठी लहरा के मन मोहे
८बाग आम बौराए सुरभित है उपवन जन मन भी बौराए
९तितली - अलि भेंट रहे पुष्प पल्लव मंच आनंद समेट रहे
१०आली! बसंत छाया अनुराग रंग ले घर आज कंत आया
