मेरा देश
मेरा देश
अपना झुकाऊँ शीष मैं,नित देश को सम्मान से।
धरती यही है जन्म की, रहती जहाँ मैं शान से।
सदियों बाद मिली आजादी को कभी नहीं खोना
करूं देश की रक्षा अपने प्राणों के बलिदान से।
पाकर आजादी देश में स्थापित गणतंत्र हुआ
खुली गुलामी की जंजीरें वीरों के बलिदान से।
बहु जाति धर्मों की विविधता रंग देती देश को
उस देश भारत भूमि को करती नमन अभिमान से।
रहते रहे मिलजुल यहाँ सब लोग इक परिवार ज्यों
सुख दुख सभी के बाँट लें रहते जहां आराम से।
है विविधता में एकता ऐसा न दूजा देश है
ईद त्योहारों में मिलें जो स्वाद हर पकवान से।
हरित धरती नदी सागर हिम पर्वतों की वादियां
लहलहाते खेत सोहें भर अन्न से खलिहान से।
जगत गुरू हो नाम चमके लहरा उठे परचम सदा
हृदय अब मेरा रहता उमंगित इसी अरमान से।
झंडा तिरंगा हो हमेशा आसमा को चूमता
रक्षार्थ सर्वस्व करूं अर्पण आन बान शान से।
सबके लिए नियम बने कर्त्तव्य और अधिकार यहाँ
नाम विश्व में फैला है भारत के संविधान से।