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Jyotiramai Pant

Fantasy

3  

Jyotiramai Pant

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मोरे नैना

मोरे नैना

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सखी! मोरे नैना बावरे

लाख छुपाएँ मन के प्रहरी

अंतस में सुख दुख की गठरी

जिद्दी शिशु से कर मनमानी

ले आते दृग -तट ज्वार

रे सखी !मोरे ...... 


खुल जाए मन के तहखाने

लगते मोती खूब लुटाने

उलझनों में भी ओस 

मोती बूँद -बूँद करे बिखराव

रे सखी ! मोरे .....


बिना शब्द सब राज़ खोल दें

अपनी ही भाषाएँ बोलें

लड़े किसी से अँखियों रस्ते

प्रिय सुघड़ छवि मन गढ़वाय

रे सखी !मोरे ..



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