मोरे नैना
मोरे नैना
सखी! मोरे नैना बावरे
लाख छुपाएँ मन के प्रहरी
अंतस में सुख दुख की गठरी
जिद्दी शिशु से कर मनमानी
ले आते दृग -तट ज्वार
रे सखी !मोरे ......
खुल जाए मन के तहखाने
लगते मोती खूब लुटाने
उलझनों में भी ओस
मोती बूँद -बूँद करे बिखराव
रे सखी ! मोरे .....
बिना शब्द सब राज़ खोल दें
अपनी ही भाषाएँ बोलें
लड़े किसी से अँखियों रस्ते
प्रिय सुघड़ छवि मन गढ़वाय
रे सखी !मोरे ..