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Jyotiramai Pant

Others

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Jyotiramai Pant

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हुआ प्यार फिर धूप से

हुआ प्यार फिर धूप से

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हुआ प्यार फिर धूप से हरदम चाहें संग।

नर्म करों से छेड़ती, उपजे हर्ष उमंग।।

साथ गुनगुनी धूप के।


श्वेत श्याम रंग आ मिलें, मेघ बर्फ के साथ

धूप गुनगुनी मोहती,

मिल जाए जो माथताप चुलबुली धूप के।

शीत पवन तन बेधती, करती है बेहाल

थर थर कांपे जीव जन,

कैसे हो खुशहाल चुभन नागफनी शूल के।

धरा लगे ज्यों तापसी, श्वेत चुनरिया ओढ़। 

शांत सभी अठखेलियां, सब रंगों को छोड़

धूप भी संग नमी के।


हिम कण झरते मोहते, धवल रुई सा रूप

ढक दें सारी प्रकृति को,

भूले सभी स्वरूप रूप मलमली धूप के।

मिले आसरा ताप का, घेरें सभी अलाव

चाय गर्म जो हाथ हो,

भूलें शीत प्रभाव बैठें अनबनी भूल के।


 


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