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Jyotiramai Pant

Abstract

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Jyotiramai Pant

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चाय का आनंद

चाय का आनंद

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इस जग में अमृत सरिस, ईश्वर का वरदान।

सबका दिल हर्षित करे,पेय चाय अभिधान।।

दूध मिली,काली, हरी,चीनी मिश्रित युक्त।

या नीबू मधु डाल के,पीकर चिंता मुक्त।।

आवभगत में शीर्ष पर,है इसका ही स्थान।

अभिवादन उपरान्त जब,प्रस्तुत संग जलपान।।

सुबह सबेरे पलंग पर,जब मिल जाती चाय।

हिरदय में ऊर्जा भरे,दिनमें नहिं अलसाय।।

ठंडी ऋतु में हाथ में,कुल्हड़ में हो चाय।

या गिलास में हो भरी,तन मन दे गरमाय।।

गर्मी में भी लें सभी,समय समय पर चाय।

तरो ताज़गी सी मिले,और थकन मिट जाय।।

हलकी भीगी चाय को ,करते कई पसंद।

दूध मलाई साथ भी,कर दे स्वाद बुलंद।।

वर्षा ऋतु अवसर बने, बूंदों की बरसात।

गर्म पकौड़े जब बने,चाय बहुत सरसात।।

धरती की अनुपम यहां , मिली हमें सौगात।

देवों को दुर्लभ यही, चाय स्वाद की बात।।

असम दार्जिलिंग नीलगिरी,अलग स्वाद जो भाय।

रंग सुगंध बेजोड़ है ,और मसाला चाय।।

 


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