कविता
कविता
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कविताएँ
प्यासी होती हैं
प्रेम की....
कविताएँ
भूखी होती हैं
भावनाओं की..
कविताएँ
वेदना होती हैं
अन्तर्मन की...
कविताएँ
ख़ामोशी होती हैं
तन्हाई की....
कविताएँ
उम्मीदें होती हैं
मरी हुई!
कविताएँ
सपने होते हैं
खुली आँखों देखी...
कविताएँ
मुस्कुराहट होती है
ज़िंदगी की...
कविताएँ
मक़बरा होती है
कवियों का...
और भी कितना कुछ है
मेरे समझ से बाहर
जो मैंने नहीं लिखा
जो मुझे नहीं पता
क्योंकि कविता लिखना
मुझे आता ही नहीं...
मगर हाँ,
इतना जानता हूँ मैं कि,
कविताएँ केवल
कविताएँ नहीं होती।