प्रेम
प्रेम
अगर
आपका "प्रेम"
किसी को
किसी के पैरों को
किसी के मन को
या फिर जीवन को
किसी "बंधन" से
"बाॅंधता" है तो फिर....
आपका "प्रेम"
प्रेम नहीं "दिखावा"है
आप ही से "छलावा" है
और आप "प्रेमी" नहीं
अपितु इक "ढोंगी"हैं!
अगर
आपका "प्रेम"
किसी को
किसी के पैरों को
किसी के मन को
या फिर जीवन को
किसी "बंधन" से
"बाॅंधता" है तो फिर....
आपका "प्रेम"
प्रेम नहीं "दिखावा"है
आप ही से "छलावा" है
और आप "प्रेमी" नहीं
अपितु इक "ढोंगी"हैं!