शायद ही होगी तुम्हें उतनी फिक्र। शायद ही होगी तुम्हें उतनी फिक्र।
हमारी हर बात में वो है, हमारी हर बात में वो है,
सीधी राह उन्हें सिखाती सीधी राह उन्हें सिखाती
स्तब्ध मां भारती की आज है धरा एवं गगन, लता के रूप में खोया है आज एक रतन। स्तब्ध मां भारती की आज है धरा एवं गगन, लता के रूप में खोया है आज एक रतन।
(१) छोड़कर अपनी बच्चों को, चिड़िया अपनी घोसले में । निकली वह दाने चुनने को, (१) छोड़कर अपनी बच्चों को, चिड़िया अपनी घोसले में । निकली वह दाने चुनने क...