यही व्यथित भारत का लिखा है योग ! क्या हो गया इस देश को लड़ रहें हैं लोग ! यही व्यथित भारत का लिखा है योग ! क्या हो गया इस देश को लड़ रहें हैं ल...
अब कभी ना आओगे आप... न कभी ढा़ढ़स बंधाओगे न कभी जोहोगे बाट गली के छोर पर जैसे हमेशा जोहा करत... अब कभी ना आओगे आप... न कभी ढा़ढ़स बंधाओगे न कभी जोहोगे बाट गली के छोर पर ...
आप भूलकर यह न सोचे लोग इसे नहीं पढ़ते है !! आपके हाथों में ' कई और कितने तंत्र हैं ! मेसेज और च... आप भूलकर यह न सोचे लोग इसे नहीं पढ़ते है !! आपके हाथों में ' कई और कितने तंत...
एक गिरह में तीन सुईयाँ स्थिर, स्तब्ध से एक गिरह में तीन सुईयाँ स्थिर, स्तब्ध से
अरे मैं कवि नहीं मैं एक सच्चाई हूँ, झूठ को चुभती हुई मैं एक परछाई हूँ। अरे मैं कवि नहीं मैं एक सच्चाई हूँ, झूठ को चुभती हुई मैं एक परछाई हूँ।
निःशब्द हूँ स्तब्ध हूँ सोज़ ए वतन के हाल पर, यूँ सहा जाता नहीं अब मौन हर एक बात पर,! निःशब्द हूँ स्तब्ध हूँ सोज़ ए वतन के हाल पर, यूँ सहा जाता नहीं अब मौन हर एक ब...