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Dr Lakshman Jha "Parimal"Author of the Year 2021

Abstract

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Dr Lakshman Jha "Parimal"Author of the Year 2021

Abstract

व्यथित भारत

व्यथित भारत

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क्या हो गया

इस देश को

लड़ रहें हैं लोग ?

हमने इन

समाज के संचालकों से

पंडितों से, विद्वानों से,

राजनीति के महारथिओं

से पूछा तो

अपनी उग्र भंगिमाओं से

चिल्लाकर बोल उठे-


"हमें हमारा अधिकार चाहिए

मंदिर बनाएंगे

मस्जिद गिराएंगे

राम जन्म -भूमि

फिर से सँवारेंगे !


लोग हताहत

होते हैं तो क्या ?

धर्मों के नाम पे

मरते हैं तो क्या ?

धर्म के ही नाम

पर हम मर मिटेंगे

टूट जाये फूट जाये

हम नहीं पीछे हटेंगे

हमें क्या करना

भारत की अखंडता से ?


विदेशियों के फिर

हो आक्रमण

भले ही,क्यों ना हम फिर

से परतंत्र हो ?


हमें तो बस

एक ही चाह है,

जियें तो संघर्ष करते

मरें तो संघर्ष करते !

नाम मेरा हो अगर

इस देश में

तो कहें सब लोग

संघर्ष मैंने सिर्फ किया

कल्याण मानव के लिए ! "


और यह सुनकर

रह गया स्तब्ध मैं !

यही व्यथित भारत

का लिखा है योग !

क्या हो गया

इस देश को

लड़ रहें हैं लोग !


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