माँ... तेरी आरजू में निःशब्द हूँ मैं तेरी बंदगी में निःस्वार्थ हूँ मैं सजदा करूँ तो करूँ... माँ... तेरी आरजू में निःशब्द हूँ मैं तेरी बंदगी में निःस्वार्थ हूँ मैं ...
जूनून है किसी की चाहत का, पर हकीक़त से वो अनजान नहीं | जूनून है किसी की चाहत का, पर हकीक़त से वो अनजान नहीं |
निःशब्दतेचा शाब्दिक काव्यमय आविष्कार निःशब्दतेचा शाब्दिक काव्यमय आविष्कार
नाउम्मीदी में भी ढूँढ लेते हैं रोशनी की किरण उम्मीदी के विश्वास पर कायम, जयघोष जिंदगी नाउम्मीदी में भी ढूँढ लेते हैं रोशनी की किरण उम्मीदी के विश्वास पर कायम, जयघो...
आहट भी सुनीं..सुनीं दस्तकें भी उस शांत नदी में यूं कंकर ढलकाना ! आहट भी सुनीं..सुनीं दस्तकें भी उस शांत नदी में यूं कंकर ढलकाना !
लौटना नहीं चाहता मैं फिर भी लाचार हूँ क्या करूँ। लौटना नहीं चाहता मैं फिर भी लाचार हूँ क्या करूँ।