माँ... तेरी आरजू में निःशब्द हूँ मैं तेरी बंदगी में निःस्वार्थ हूँ मैं सजदा करूँ तो करूँ... माँ... तेरी आरजू में निःशब्द हूँ मैं तेरी बंदगी में निःस्वार्थ हूँ मैं ...
कल्याण जीवन धर्म मर्म मर्यादा महिमा मान संस्कृतियों का अपरिहार्य आवाज।। कल्याण जीवन धर्म मर्म मर्यादा महिमा मान संस्कृतियों का अपरिहार्य आवाज।।
कोई आपको कब खास से, आम कर दे, पता नहीं होता, कोई आपको कब खास से, आम कर दे, पता नहीं होता,
जिसको हमने अपना समझा, उसने हमसे दगा किया। जिसको हमने अपना समझा, उसने हमसे दगा किया।
मायूस कभी हुआ नहीं मैं लड़ता था झगड़ता था तो बस अपने भीतर के शैतान से मायूस कभी हुआ नहीं मैं लड़ता था झगड़ता था तो बस अपने भीतर के शैतान से
गूंजेगी तेरी आवाज साखी हर शहर है जब तक भोले का तेरे लबों पे स्वर है गूंजेगी तेरी आवाज साखी हर शहर है जब तक भोले का तेरे लबों पे स्वर है