लौटना नहीं चाहता मैं फिर भी लाचार हूँ क्या करूँ। लौटना नहीं चाहता मैं फिर भी लाचार हूँ क्या करूँ।
में देश की रक्षा के जज्बे सी चौकन्नी निगाहें अभिप्राय! में देश की रक्षा के जज्बे सी चौकन्नी निगाहें अभिप्राय!
थोड़ा रंग से, थोड़ी महक से- गुलाब की सुर्ख पंखुड़ियों, और केसर के नाज़ुक रेशों की थोड़ा रंग से, थोड़ी महक से- गुलाब की सुर्ख पंखुड़ियों, और केसर के नाज़ुक रेश...
अनजाने में मैंने दो ज्योतियों को एक कांटे से छेद दिया है। अनजाने में मैंने दो ज्योतियों को एक कांटे से छेद दिया है।
जीत लोगे तुम नकली मित्र और असली शत्रु सफल फिर भी होना है तुम्हें जीत लोगे तुम नकली मित्र और असली शत्रु सफल फिर भी होना है तुम्हें