फिर भी
फिर भी
भांति-भांति के रंग-रूप हैं प्यार के
पर लोग – वो हैं अविवेकी, असंगत और आत्म-केंद्रित
प्यार करो फिर भी उन्हें
भला कर रहे हो तुम
लोग लगाएँगे अभियोग स्वार्थपूर्ण गुप्त अभिप्राय का
भला करो फिर भी उनका
सफलता चूम रही कदम तुम्हारे
जीत लोगे तुम नकली मित्र और असली शत्रु
सफल फिर भी होना है तुम्हें
नेकनीयती और स्पष्टवादिता आलोचनीय
और आघात योग्य बनाती है तुम्हें
सत्यनिष्ठ और बेबाक फिर भी रहना है तुम्हें
बरसों लगाये तुमने निर्माण में, सजाया सपनों का संसार
लोग – वो तितर-बितर कर दे सकते हैं इसे पलक झपकते
निर्माण में लगे रहना है फिर भी तुम्हें
सदा अपना सर्वोत्कृष्ट दो दुनिया को
दुनिया – वो तो एक झटके में भूलुंठित कर देगी तुम्हें
तुम्हारी सर्वोत्तमता की आवश्यकता
फिर भी रहेगी इस असार संसार को
