श्रद्धांजलि:स्वर कोकिला लता जी
श्रद्धांजलि:स्वर कोकिला लता जी
स्तब्ध मां भारती की आज है धरा एवं गगन,
लता के रूप में खोया है आज एक रतन।
संगीत क्षेत्र में थीं वे अनुपम ही एक मिसाल,
छह दशक तक प्रतिभा का दिखातीं रहीं कमाल।
गाथा अमर रहेगी जब है ये धरा और ये गगन,
स्तब्ध मां भारती की आज है धरा एवं गगन,
लता के रूप में खोया है आज एक रतन।
बीसवीं सदी के उन्तीसवें वर्ष में धरा पर आगमन हुआ,
इंदौर ही था वह पुण्य - क्षेत्र धन्य जो हुआ ।
नौंवें माह की अट्ठाइसवीं तिथि को सुरभित हुआ चमन,
स्तब्ध मां भारती की आज है धरा एवं गगन,
लता के रूप में खोया है आज एक रतन।
भूषण और विभूषण पद्म संग दादा साहब फाल्के पुरस्कार,
भारत रत्न से विभूषित कर भारत ने उनको दिया उपहार।
सन् बाईस की छह फरवरी को गमन पर कोटिक उन्हें नमन,
स्तब्ध मां भारती की आज है धरा एवं गगन,
लता के रूप में खोया है आज एक रतन।
