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Rita Jha

Children Stories

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Rita Jha

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पिचकारी

पिचकारी

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पापा ओ पापा दिलवा दो न आज हमें भी एक सुंदर पिचकारी,

इस होली में रंग खेलने की हम पहले से ही कर रहे हैं तैयारी।

सोनू मोनू, चिंकी पिंकी के संग योजना बनी है बहुत सारी,

पापा ओ पापा दिलवा दो न आज हमें भी एक सुंदर पिचकारी।


पापा ओ पापा दिलवा दो न आज हमें भी एक सुंदर पिचकारी,

सज गई है दुकानें, मिल रही हैं, कितने ही सुंदर रंगों वाली।

मान भी जाओ पापा, खेलेंगे रंग इस बार होली लगती है प्यारी,

पापा ओ पापा दिलवा दो न आज हमें भी एक सुंदर पिचकारी।


पापा ओ पापा दिलवा दो न आज हमें भी एक सुंदर पिचकारी।

बात सभी मानेंगे,नहीं करेंगे कोई शरारत परेशान करने वाली,

बस हम बच्चों की टोली में खेलेंगे, रंग अच्छे और प्राकृतिक वाली।

पापा ओ पापा दिलवा दो न आज हमें भी एक सुंदर पिचकारी।


पापा ओ पापा दिलवा दो न आज हमें भी एक सुंदर पिचकारी।

वादा करता हूँ अब न तंग करूँगा राह चलते हुए किसी को भी,

फेंकेंगे न रंग दूर से किसी पर, गुजरे चाहे जानवर कुत्ता-बिल्ली, 

पापा ओ पापा दिलवा दो न आज हमें भी एक सुंदर पिचकारी।


पापा ओ पापा दिलवा दो न आज हमें भी एक सुंदर पिचकारी।

वादा करता हूँ ध्यान लगा कर पढूँगा, अच्छे अंक लाकर दिखाऊंगा।

अपनी टोली में संगसंग ले जाऊँगा,ध्यान रखूँगा बहन मुन्नी का भी,

पापा ओ पापा दिलवा दो न आज हमें भी एक सुंदर पिचकारी।


पापा ओ पापा दिलवा दो न आज हमें भी एक सुंदर पिचकारी।

सारे  त्योहार फीके ही बीते हैं पापा,मनाने दो न अब ये होली,

न खेला रंग इस बरस भी तो फिर न मिलेगी टोली।

पापा ओ पापा दिलवा दो न आज हमें भी एक सुंदर पिचकारी।


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