शहरों का ट्रैफिक
शहरों का ट्रैफिक
शहरों का ट्रैफिक
भी कमाल है,
मुझ पर मुहाल है,
हर रोज़ होते
कितने हलाल हैं।
रैड लाइट का मतलब
रुकना, जो कि
नहीं हमने सीखा ।
हरा लाइट का मतलब
हमारा विशेषाधिकार
आखिर हम ही सरकार?
पीली लाइट जैसे हो
आमजन की पहचान
जिस पर नहीं दे रहा
कोई ध्यान ।
देख ट्रैफिक हाल
में साधारण से
असाधारण बन गया,
तीव्र गति सोच को
रिवर्स गियर लग गया।
अकड़ व जवानी
का जोश, सड़क
पर दिखता रोज़
जब, राकेट सा
गुजरता वाहन।
दाईं बाएं, बाएं दाईं
का यहां कोई
भेद नहीं
लैंगिक समानता
सच में, आई
व्हाई शुड
बॉयज हैव द फन
सटीक है, दिखता
क्या नहीं है भाई?
पहले चिढ़ थी
गुस्सा था
बदलते क्यों नहीं?
सब बेअक्ल
ऐसा सोच थी
गाड़ी वालों को
कोसना
खिड़की से निहारना
झांकना, टोकना
फिर शिखर से
शून्य पर आ जाना।
दिन, महीने
वर्ष, फिर वर्षों
बदले, लेकिन
फिर, हम भी
बदले, वही शोर
वही नौजवान
आड़े तिरछे, वाहन
सड़क बीच बैठी
गाय, बेमतलब
हॉर्न मारते यान
अब मैं अभ्यस्त हूँ
अपने में मस्त हूँ
औरों को कम
अपने को ज्यादा
देखता हूँ, अब शोर
कहीं गुम है, लेकिन
में वहीं हूँ, आईना
कुछ बदला सा है
मेरे शहर
शहरों का ट्रैफिक
भी बहुत कमाल हैं
सबसे बेमिसाल है।
