ऐसी मन्नत मांग लो ना?
ऐसी मन्नत मांग लो ना?
ज़िंदगी के मैदान में उतार तो दिया है,
ये नहीं कहूंगी कि मुझे जीना सीखा दो ना,
मगर मेरे नन्हे हाथों को थामकर मेरे दिल में जीने की चाह भर दो ना?
मैं हर रोज़ गिरूंगी, टूटुंगी, बिखरुंगी,
ये नहीं कहूंगी कि मुझे सवांरों ना, संभालों ना,
मगर उठकर अपने दम पर खड़ी हो सकूं, इतनी हिम्मत मुझमें भर दो ना?
मैं नादान हूं, समझदारी का स भी ना जानू,
ये नहीं कहूंगी कि मेरी हर गलती को भुला दो ना,
मगर अपने तजुर्बे के पिटारे से एक सीख की घुट्टी मुझे पीला दो ना?
ये पंख बहुत बड़े दिए है तुमने,
ये नहीं कहूंगी कि मुझे उड़ना सीखा दो ना,
मगर उड़ने के लिए एक आसमान मुझे दे दो ना?
ये दुनिया बड़ी ज़ालिम है जानती हूं,
ये नहीं कहूंगी कि मुझे इससे बचा लो ना,
मगर खुदकी मुहाफ़िज़ खुद बन सकूं इतने काबिल मुझे बना दो ना?
तुम्हारे लाढ़ प्यार के सामने ये दुनिया बेरंग लगती है जानती हूं,
ये नहीं कहूंगी कि इसे मेरे लिए रंगीन कर दो ना,
मगर इसे अपने हाथों से रंग सकूं ऐसा कलाकार मुझे बना दो ना?
प्यार इतना मुझे अब तक दिया कि शायद सागर भी छोटा पड़ जाए उसके सामने,
ये नहीं कहूंगी कि इसकी गहराई को और बढ़ाओ ना,
मगर इस सागर की कुछ बूंदे दूसरों पर भी छलका सकूं, इसकी इजाज़त मुझे दे दो ना?
तुम दोनों जैसी शक्सियत मैं बन सकूं इतनी काबिलियत मुझमें नहीं जानती हूं,
ये नहीं कहूंगी कि मुझे खुद जैसा बना दो ना,
मगर तुम्हारी परवरिश पर कोई आंच ना आने दू, तुम्हारे इस खून पर कोई दाग ना लगने दू,
ऐसी मन्नत मेरे नाम की उस ख़ुदा से मांग लो ना ?