STORYMIRROR

Sonal Gour

Abstract Inspirational

4  

Sonal Gour

Abstract Inspirational

ज़िंदगी की मीरा

ज़िंदगी की मीरा

1 min
305

ज़िंदगी तुम्हारी चाहत गर है कि मैं मीरा तुम्हारी बन जाऊँ,

तो लो बस अब से तुम्हें ही अपना कृष्ण मैं बनाऊँ,

सेवा करूँ तुम्हारी निस्वार्थ भाव से,

और तुम्हारे ही नाम का जाप करती जाऊँ,

तुम ग्वाले कृष्ण गोपियों वाले और मैं तुम्हारी भक्तिन बन जाऊँ।


तुम भी कृष्ण की तरह अपनी मुरली से मन मेरा मोहना,

मैं भी फिर गोपियों सा नृत्य करती जाऊँ,

कृष्ण सा सांवला रंग तुम्हारा मैं भी फिर रौशनी की छाया बन जाऊँ,

मोर पंख माथे पर तुम्हारे और मेहनत का कंगन मैं अपने हाथों पर सजाऊँ।


कृष्ण ने किया था अर्जुन का जैसे,

करना तुम मेरा भी पथप्रदर्शक वैसे,

और किया था जैसे श्याम ने कंस का संहार,

सिखलाना फिर मुझे भी वैसे मुश्किलों को हराकर

कैसे तोड़ना उनका अहंकार।


फ़िर मैं भी मीरा की तरह तुम्हारे दिए हर ज़हर के घूँट,

अमृत समझकर पी जाऊँ,

और कृष्ण सा रखवाला बन मृत्यु शय्या से बचाओ तुम,

लो ज़िंदगी पूरी तुम्हारी चाहत मैं कर जाऊँ,

तुम कृष्ण मेरी और मीरा मैं तुम्हारी बन जाऊँ।।!!



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract