STORYMIRROR

Sonal Gour

Inspirational

4  

Sonal Gour

Inspirational

मैं रात हूं...

मैं रात हूं...

1 min
356


उजाले को ढकने वाली एक काली चादर हूँ मैं,

अंधेरा नहीं चाँद तारों का समंदर हूँ मैं,

सूरज नहीं है मेरे पास पर चाँद की कोमल छाया है,

पंछियों की चहचहाहट नहीं पर तारों की टिमटिमाहट है,

माना कि मेरे आने से हर कोना वीरान हो जाता है,

पर मेरे ही तो आने से हर कोई चैन की नींद सो जाता है,

वो आँखें कुछ पल के लिए माना दुनिया से दूर हो जाती है,

पर आखिर में वही तो दिन भर की थकान को पी जाती है,

मैं उम्मीदों का उजाला तो नहीं हूँ,

पर उस उजाले की उम्मीद को जन्ने वाली हूँ,

हाँ मैं ढलती शाम का नतीजा हूँ,

हाँ... मैं रात हूँ... पर मैं ही एक नई सुबह का आगाज़ भी हूँ...!!



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational