ज़िंदगी के साथ सैर
ज़िंदगी के साथ सैर
एक खयालों का जहाज़ बनाया है,
चलो ज़िंदगी इसपर सवार होकर एक सैर पर चलते है,
तुम अपने अफसानों का बक्सा खोलना,
और मैं अपनी बातों की ज़मानत करूंगी,
तुम अपनी ख़ामोशी में मुझे कैद करना,
और मैं अपनी शिकायतों का शोर मचाऊंगी,
तुम कोई अनसुना सा राग छेड़ना,
और मैं कोई ज़ाहिर सी धुन गुनगुनाऊंगी,
तुम मेरे राज़ की रखवाली में दिन और रात का मिलन देखना,
और मैं बाहें फैलाकर अपनी खुशकिस्मती का ऐलान करूंगी,
तुम आसमान के लिए एक पैगाम पंछियों के हवाले करना ,
और मैं उस तक पहुंचने के रास्तों की आज़माइश करूंगी,
तुम हवाओं को अपनी छोटी सी टोली में शामिल करना,
और मैं बादलों की बस्ती में दोस्ती की लहर लाऊंगी,
तुम जज्बे से भरे खयालों को जज़्बात में बदलना,
और मैं उन जज़्बातों को अपने अल्फ़ाज़ में ढालूंगी,
तुम अपनी अहमियत के चंद शेर पढ़ना,
और मैं ग़ज़ल हमारी दोस्ती की सुनाऊंगी,
और इन ख्वाहिशों के खज़ाने में
एक ये भी ख़्वाब जड़ देंगे,
सैर आओ ज़िंदगी संग, ज़िंदगी की करेंगे..!!