क्या नहीं चाहत कुछ पाने की, जिसके हम हकदार नहीं, क्या नहीं चाहत कुछ पाने की, जिसके हम हकदार नहीं,
तुम मेरे राज़ की रखवाली में दिन और रात का मिलन देखना, तुम मेरे राज़ की रखवाली में दिन और रात का मिलन देखना,