दोहे
दोहे
गणपति प्रभु माफ़ करना, सब गलती हमारी,
नादानी में खो गयी, जाना बुद्धि हमारी।
ना मिली राह में चाह, न दिखे कोई दिशा,
जिस और भी धरते पग, हर तरफ मिला नशा।
जग भरे निराले ढंग, जीने में न उमंग,
हर ओर दिखा मन दंग, रकम पीछे मलंग
काया दुर्बल, राह कठिन, जीवन का क्या होय ,
प्रभु गणपति कृपा लिए , जीवन सुगमी दोय ।
गणपति बुद्धि राजा भूप , शिव गौरा के संग,
धरो सर हाथ गजानन , कलम को मिले ढंग ।
शीश सदा चरणों निभा, प्रभु भक्ति में गाए,
आपसे सद्बुद्धि का, विचार, ज्ञान पाए।