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Rekha Mohan

Fantasy

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Rekha Mohan

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कोई अपना हो या हो बेगाना

कोई अपना हो या हो बेगाना

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कोई अपना हो या हो बेगाना

मुश्किलों में ही जाता पहचाना।

बदली राहें बदल गयी मंज़िल

इस नयी राह हुआ अंजाना।

लोग हमको यही बता देते

जीत जाने को सच्च न पैमाना।

सीख बेटी को माँ ने दी है यही

शाम ढलने से पहले घर आना।

जिसको हमने कभी नहीं देखा

वो खुदा कितना लगता पहचाना।

जब भी थक के मैं चूर होती हूँ

याद आता है माँ का सहलाना।

सब तू लबों पर हंसी लेकर आना

हम भी गम को बना लेंगे गाना।।



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