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Rajeshwar Mandal

Children

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Rajeshwar Mandal

Children

मां

मां

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330

मां देखो न मैंने आज अपना खाना खुद बनाया मां

भले ही रोटियां गोल नहीं है टेढ़े मेढ़े और अधपके है

सब्जियों में नमक मसाले का मेल नहीं है

पर खाने में बहुत ही स्वादिष्ट है मां

एक बार तुम भी खाकर देखो न मां।


तुम कहती थी न मां 

मुझे टेंसन होता है

कि पता नहीं आगे जाकर 

ये लड़का क्या करेगा ?


मै सीख गया हूं जिंदगी के मर्म मां

तुम्हारी हर एक बातों पर अमल करता हूं मां

दो बातें किसी का भी सह लेता हूं मां

पर किसी से उलझता नहीं हूं मां।


पिताजी जब डांटते थे 

तो इसकी शिकायत तुझसे मैं करता था मां

इस परदेस में अब किससे यह शिकायत करु मैं मां

इसलिए दो बातें औरों का चुपचाप सुन लेता हूं मां

पर किसी से कभी लड़ाई झगड़ा नहीं करता हूं मां

तुम ही बताओ न मां, मै ठीक करता हूं न मां।


यहां वाशिंग मशीन नहीं है मां

सर्फ वाले बाल्टी में कपड़े डुबोकर ही धोता हूं मां

कौन देगा बिस्तर पर एक गलास पानी मां

इसलिए चौकी के नीचे ही पानी बोतल रखता हूं मां।


याद है तुझे मां, मन बहलाने के खातिर 

बहनों को कितना तंग करता था मैं मां

यहां तो जिंदगी खुद ही तंग है मां

बताओ न तुम्ही मां अब मैं किसको तंग करुं मैं मां।


मुमकिन है होली दिवाली में भी छुट्टी न मिले मां

पुआ पकवान अब किसके लिए तुम बनाओगी मां

मां, ए मां , सुनो न मां

जब कभी मैं घर आऊं मां

तो रंग बिरंगे ब्यंजन बना कर खिला देना न मां

हां, एक बात और मां

रोटियां गोल गोल कैसे बनती है

वह भी सीखा देना न मां।


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