"हनुमान का रूप अनोखा"
"हनुमान का रूप अनोखा"
लंका में जाकर श्री हनुमान ने, कुछ ऐसा रूप दिखाया था
भयभीत हो गए राक्षस सब, ऐसा करतब कर डाला था
हर राक्षस ने मिलकर, उनको को क्या खूब डराया था
पर हनुमान तो भक्त राम के, उन्होंने सब को धूल चटाया था....!!
लंका नरेश ने पकड़कर, जब पूंछ में श्री हनुमान के आग लगवाई थी
सारी लंका भस्म कर डाली, बस एक ही घर विभीषण का बचाया था
विकट रूप देखकर हनुमान जी का, हर राक्षस भयभीत हो आया था
सोने की लंका राख बन गई, सोच के रावण बहुत पछताया था....!!
अशोक वाटिका में बैठी सीता मां, श्री हनुमान ने यह पता लगाया था
सारा हाल प्रभु चरणों में जाकर, साफ-साफ बतलाया था
चूड़ामणि फूल देकर, श्रीराम को उनके होने का प्रमाण जतलाया था
श्री हनुमान की लीला को, प्रभु राम ने दिल से लगाया था.....!!
श्री हनुमान को जिसने जीवन में धाया, उसने संकटों से छुटकारा पाया है
संकटमोचन बनकर उन्होंने, घर घर में आस का दीपक जलाया है
सर्वोत्तम है भक्त प्रभु के, और न कोई उन जैसा बन पाया है
चीर के जब दिखलाया सीना, तो प्रभु राम का ही रूप आया है....!!
