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Ashish kuwarbhahadur Pandey

Children Stories

4  

Ashish kuwarbhahadur Pandey

Children Stories

विदाई समारोह

विदाई समारोह

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आओ सुनाऊं तुम्हें बीते हुए पलों की,

कुछ खट्टी, कुछ मीठी दास्तां,

कुछ मेरी, कुछ आपकी बात करते हैं ,

चलो कुछ बीते हुए लम्हे याद करते हैं ।


स्कूल में बिताए पलों को याद करते हैं ,

जब हम आए थे यहां तो ये एक गुमनाम पहेली थी,

ना जाने क्यों मन नहीं लगता था ,

हर दिन यहां से भाग जाने को दिल करता था।

 

धीरे-धीरे नए-नए दोस्त बने,

अच्छे टीचर मिले,

थे कुछ खडूस

लेकिन दिल के अच्छे मिले।


क्लास में खूब शरारत करते थे,

कागज की एरोप्लेन उड़ाया करते थे,

एक दूसरे को चांक से मारा करते थे,

डस्टर को पंखे में फेका करते थे।


ना जाने क्यों क्लास के पंखे से था बैर,

उसकी ताड़ीयो को हमेशा पकड़कर मोड़ा करते थे,

टीचर की क्लास छोड़ते ही शोर मचाया करते थे,


फिर टीचर के क्लास में आते ही मासूम बन जाते थे,

होमवर्क ना करने के तरह-तरह के बहाने बनाते थे।


टीचर के बोर्ड की तरफ मुड़ते ही,

टिफन खोलकर चुपके से खाना खाया करते थे,

टीचर के सवाल पूछने पर,

दिल खोल के नीचे देखा करते थे।


स्कूल में जानबूझकर देर से आना फिर तरह-तरह के बहाने बनाते थे,

प्रार्थना में एक आंख खोलकर आसपास देखा करते थे,

क्लास में जाने के लिए दौड़ ऐसे लगाते थे,

लगता था हम ही सबसे ज्यादा पढ़ने वाले थे।


दोस्तों के साथ क्लास बंक मारा करते थे,

फिर दूर मैदान में जाकर क्रिकेट खेला करते थे,

एक दूसरे से पैसे इकट्ठे करके,

समोसे, कचोरी, गोलगप्पे खाया करते थे।


रविवार से पहले शनिवार को,

सबके मन में लड्डू फूटा करते थे,

फिर रविवार की शाम को,

सोमवार के बारे में सोच के सबके दिल टूटा करते थे।


स्कूल में खूब मजा करते थ ,

फिर भी ना जाने क्यों या आने से डरते थे,

अब ना जाने क्यों यहां से जाने का दिल नहीं करता।


पहले हमें खींचकर स्कूल में लाया करते थे,

अब ना जाने क्यों यहां ठहर है जाने का मन करता है,

बस एक बात अब निराली है।


जब आए थे यहाँ तब आंखों में आंसू और मुंह सूजा हुआ था,

अब जा रहे है तो भी आंखों में आंसू है लेकिन चेहरे पर मुस्कान है,

चलो अब चलते है दोस्तों नए सफर की शुरुआत करते हैं ,

मिलते रहना, आस-पास रहना पर दिल से कभी दूर ना जाना।


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