STORYMIRROR

Ashish kuwarbhahadur Pandey

Others Children

3  

Ashish kuwarbhahadur Pandey

Others Children

जीवन जीने का रंग

जीवन जीने का रंग

1 min
158

थोड़ी देर रुका जीवन फिर से चलने वाला है

थोड़ा संयम और सही ये संशय जाने वाला है

देखा है मैंने गमले में अंकुर नया फूटकर आया

अचेतन था दुबका अंदर वह जीवन बन आया

अंदर बैठा अंधकार में साँसों को संभाला होगा

जड़ को आस दिखाकर कितना समझाया होगा

एक पुराने पौधे पर फूल नया इतराया है

थोड़ी देर रुका जीवन फिर से चलने वाला है

देखो सूरज बादल से वह कब लड़ता है

जबतक बादल रहे सामने अंदर रहता है

कितना ओज भरा सोचो संयम रखता है

जैसे ही बादल छँटता फिर आ जाता है

ऐसे ही फिर नई धूप में जीवन दिखने वाला है

थोड़ी देर रुका जीवन फिर से चलने वाला है

जब पहुंच गए स्कूल में शिक्षक

एक हंसता बालक आया है

अपना नाम बताकर आशीष

वो बिन बात के मुस्कुराया है

शरारत करता भरपूर कबड्डी खेला करता था

हंसते को रुलाकर रोतो को हंसाता था

जितना हो सकता था उससे वो

मदद बराबर करता था

सही मायनों में वो अपने नाम को

सार्थक करता था


Rate this content
Log in