मीठी नींद
मीठी नींद
गाँव की मासूम खामोशी,
माँ की लोरी, दादी नानी की कहानियाँ।
बच्चों की अल्हड़ शैतानियाँ।
बूढ़े आम के पेड़ का इंतजार l मोगरे की कलियों की बहार।
इन सभी से अनोखी,
मगरू गुब्बारे वाले की अपनी ही एक अलग दुनिया।
कल सुबह फिर वही अपनी - सी गलियाँ।
नन्हे- नन्हे मासूम बच्चे खिड़की से ताकते।
छत की मुंडेर से जानते।
माँ दो आने दे दो मगरू काका आ गए।
अजीब है यह रिश्ता,
रंग बिरंगी हवा से भरी थैलियाँ।
हवा से भी हल्की, कच्चे धागे से बंधी मजबूत डोरियाँ।
दो आने में आने वाली खुशियों से भरा रिश्ता।
हर सुबह गुब्बारों के साथ कहानियों का एक नया पिटारा सजाना।
बच्चों को एक नई कहानी सुनाना।
गुब्बारों में सवार हो कर परीलोक ले जाना।
कभी बन बंदर कभी भालू, नाच दिखाना।
और कभी बन जोकर खूब हँसाना।
कभी बन दोस्त मन के सारे राज़ चुराना।
क्या खाया क्या पढ़ा पूछ, सबक नए दे जाना।
इंतजार मीठी यादों वाला,
फिर कल आने वाला कर वादा। मगरू के फटे जूते, सिकुड़ी धोती, पैबंद लगा कुर्ता।
गुब्बारे ले लो, सब्र का मीठा फल देने वाली बोली।
मगरू हर जीवन की मीठी नींद देने वाली गोली।
जीवन मगर गुब्बारे वाला जैसा ही तो है।
रंग बिरंगा, हँसाता रुलाता,
नाचता गाता।
बीते कल सा- सिमटा,
आने वाले कल की ओर ले जाता। रिश्ते अपनों के स्नेह की हवा से भरे।
विश्वास की मजबूत डोर से बंधे। फटे जूतों की तरह बढ़ती महंगाई को ताकते।
जरूरतों की सिकुड़ी धोती की तरह सिमटे,
पैबंद लगाए जिए जाना।
कल के लिए नए सपने बुनना, और मुस्कुराना।
यही तो है सच्चा जीवन और एक मीठी नींद देने वाली गोली।