त्रिरंगाये दिल
त्रिरंगाये दिल
सोंधी खुशबू मिट्टी की, ठंडी हवा मेरे अहल-ए-वतन की।
आसमान को चूमता तिरंगा, धड़कन हर हिंदुस्तानी की।
तिरंगे का हर रंग अनोखा।
कहता अपनी सच्ची गाथा।
चलो इनसे तुम्हें मिलाएं, हर एक रंग की दास्तां सुनाएं।
केसरिया रंग हुआ तिरंगा ....
सरहद पर लड़ रहा था फौजी, सर पर बांधे कफन,
माँ के प्यार में डूबा मनमौजी ।
दुश्मन की गोली ने दिया सीना चीर ,वंदे मातरम बोला वीर।
लाल लहू गिरा सुनहरी धरती पर, केसरिया हो उठा माँ का आंचल।
हरा रंग हुआ तिरंगा ....
सूखी बंजर भूमि पर, हल जोत रहा था किसान,
अंकुरित करने नया जीवन, बन बैठा धरती का भगवान।
चिलचिलाती सूरज की गर्मी, बहा पसीना चूमे प्यासी मिट्टी।
लहलहा उट्ठी मुस्कुराती फसल ,हरा हुआ माँ का आंचल।
स्वेत रंग हुआ तिरंगा ......
लहू पसीना माँ के शेरों का,
जब चूमे स्वर्ण भूधरा ।
संती अमन की लहर फैले,
प्यार और चैन से जीये हम ।
सफेद रंग हो उठा माँ का अंचल ।
जब तीन रंग यह जुड़ते है ,
तब चले जीवन की नैया।
सत्य यह चौबीस घंटों का बताता धर्म चक्र का पहिया ।
यह तिरंगा नहीं, हम वतन है।
तिरंगाये दिल ,हर हिन्दुस्तानी की धड़कन है।
