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Mamta Arora

Others

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Mamta Arora

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अपना सा कोई

अपना सा कोई

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अपना सा कोई

हर रोज देखती हूं मैं सपना l

कोई मिल जाए जो अपना l

कुछ कहे अपनी, कुछ सुनने मेरी

ना कोई बनावट हो दुनिया।

कबूल करे जैसी हूं मैं,  

ढूंढे मुझ में मुझ ही को,

ना कर किसी से तुलना l

मिल जाए जो कोई अपना।

निखर जाऊं सुबह की धूप की तरह

खिल जाऊं गुलाब के फूल की तरह।

जिंदगी को जिंदगी से प्यार हो जाए,

मिल जाए जो कोई अपना l

हर मौसम में रंग हो नए से, 

रात के अंधेरों को चांदनी का साथ,

संग टिमटिमाते तारों की बारात।

इंतजार है एक नई सुबह का।

हाथों में हाथ प्रिये का,

कट जाए जिंदगी का सफर,

मिल जाए जो कोई अपना सा।



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