शुकर है रबा तेरा शुकर
शुकर है रबा तेरा शुकर
ना शिकायत ना शिकवा करना,
रब ने जो दिया शुक्रिया बस शुक्रिया करना,
जानता हूँ मेरी ज़िंदगी में बिना उसके कुछ हो नहीं सकता,
जो दिया है उसने वो खो नहीं सकता, जो ना था वो मेरा हो नहीं सकता,
ज़िंदगी मेरी में कुछ ग़लत हो नहीं सकता,
तक़दीर बनायी मेरे रब ने, वो ग़लत हो नहीं सकता…..!
अगर सब कुछ उसका, बनाया भी उसका और दिया भी उसका,
ना शुक्र कैसे करूँ मैं उसका…..!
शिकायत अगर करता हूँ, जो ना मिला उसकी सबसे,
फिर कहूँ कैसे कि गलती नहीं होती रब से,
खुश रहूँगा हर बात से, जो मिली या ना मिली सौगात से,
हर सुख तेरी तरफ़ से सौग़ात होगा, दुःख भी मिला तो वो प्रसाद होगा,
हर तकलीफ़ में, हर ग़म में बस तू ही और तेरा नाम होगा,
ना शिकायत करूँगा ना कोई शिकवा,
अब तो होगा लबों पर तेरा शुकर और तेरा नाम होगा,
खुश रहूँगा और हर पल यह याद रखूँगा,
कुछ ग़लत नहीं हो सकता मेरी ज़िंदगी में,
रब ने दिया है सब कुछ, बाक़ी ना रहा कुछ ज़िंदगी में,
ना चिंता, ना कोई शिकायत, खुश रहना हर पल ज़िंदगी में,
बीतेगी अब तो ज़िंदगी, तेरी इबादत और बंदगी में,
बस शुकर तेरा शुकर तेरा, शुकर और शुकर तेरा,
हर गोविंद, और कुछ ना बाक़ी रहा ज़िंदगी में….!