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Chinmaya Kumar Nayak

Romance

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Chinmaya Kumar Nayak

Romance

मगरूर

मगरूर

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हम जुबाँ से बयां नहीं करते

लेकिन तुम गुरूर हो हमारी,

हम तो लिख लेते हैं गीत कागज के पन्नों पर

लेकिन तुम सरूर हो हमारी।

वो क्या है ना अगर हम अर्जी हैं

तो तुम मंजूर हो हमारी।। 


कभी अकेले में याद आए, तो तस्वीर बना लेते हैं,

उसी से ही बात करते हैं, और हर बात बता देते हैं। 

कभी बहुत कुछ बताना है, तो एक खत लिख लेते हैं,

जज्बातों के हर पहलू, हम तेरे साथ बिता लेते हैं। 

हम तो शौक से पहन लेते हैं अभिमान की ताज

लेकिन तुम कोहिनूर हो हमारी। 


कभी तुम्हें कोई जख्म आए, तो हम घायल बन जाते हैं,

तुम्हारे आंखों के आंसुओं में, हम हर वक्त भीग जाते हैं। 

तुम्हारी मासूम मुस्कुराहट में, हम अपनी जिंदगी सजा लेते हैं,

तुम जो श्रृंगार रच लेती हो, तो हमारी बंदगी बन जाते हैं। 

तुम्हें कोई आँख भी दिखाए तो आग लग जाता है

क्योंकि तुम मगरूर हो हमारी।


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