STORYMIRROR

Chinmaya Kumar Nayak

Romance

3  

Chinmaya Kumar Nayak

Romance

तेरे बग़ैर

तेरे बग़ैर

1 min
142

मैं इस तरह तुझमें जी रहा था आज तक

के खुद की कमी आज मुझे ही खल रही है,

तेरे जाने के बाद जी तो रहा हूँ अभी तक

तेरी धड़कन आज मुझमें ही मचल रही है।। 


जा तू हँस ले जी भर के मेरे बगैर

में संभाल लूंगा आँसुओं की टोकरी तेरी,

जितना भी जिया था कई रात तेरे साथ

वो बीती रात आज मेरी ही जिम्मेदारी। 


चलता रहूंगा में राह के अंतिम पड़ाव तक

तेरी आने का उमीद आज भी जल रही है।। 


शायद मेरी याद कभी आ जाये रास्ते में

मैं अपनी घर का दरवाजा खुला छोड़ा है,

क्योंकि तू ही था और रहेगी मेरी मंजिल

जिस के लिए मैंने बहुत कुछ छोड़ा है। 


प्यार में नुकसान नहीं तो क्या फाइदा

इंतजार ही तो इश्क की इम्तहान ले रही है।।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance