अश्क को आरजू में बदलना चाहता है कोरा कागज कुछ कहना चाहता है। अश्क को आरजू में बदलना चाहता है कोरा कागज कुछ कहना चाहता है।
बैठ जाएंगे जहाँ चाहे, बैठा दो हम को। बैठ जाएंगे जहाँ चाहे, बैठा दो हम को।
अब सोचिये तो दाम-ए-तमन्ना में आ गए दीवार ओ दर को छोड़ के सहरा में आ गए। अब सोचिये तो दाम-ए-तमन्ना में आ गए दीवार ओ दर को छोड़ के सहरा में आ गए।
ये रूह एक ताइर-ए-वहशी नज़ाद है हर दम सफ़र के वास्ते तय्यार चाहिए ये रूह एक ताइर-ए-वहशी नज़ाद है हर दम सफ़र के वास्ते तय्यार चाहिए
पर, कानून ही खुद जैसे अँधा, गूँगा औ' बहरा सा है। पर, कानून ही खुद जैसे अँधा, गूँगा औ' बहरा सा है।
तक़दीर क्या मेरी भी कभी बदल पायेगी बस चाँद पर "नीतू" के लिए सहरा चाहिए। तक़दीर क्या मेरी भी कभी बदल पायेगी बस चाँद पर "नीतू" के लिए सहरा चाहिए।