कोरा कागज कुछ कहना चाहता है
कोरा कागज कुछ कहना चाहता है
कोरा कागज कुछ कहना चाहता है
किस्मत को कहानी में बदलना चाहता है।
स्याही को समां में संभालना चाहता है।
कोरा कागज कुछ कहना चाहता है
ख्वाबों को हकीकत में बदलना चाहता है।
लफ्ज़ों को लिबास में बदलना चाहता है।
कोरा कागज कुछ कहना चाहता है
बशर को बहिश्त में बदलना चाहता है।
अश्क को आरजू में बदलना चाहता है
कोरा कागज कुछ कहना चाहता है।
रंज को फरह में बदलना चाहता है।
सहरा को समंदर में सजाना चाहता है।
कोरा कागज कुछ कहना चाहता है
माजी को फरामोश करना चाहता है।
निस्बत को साज्ञेदारी में संवारना चाहता है
कोरा कागज कुछ कहना चाहता है।
इरादों को इबारत में बदलना चाहता है
इश्क को इबादत में बदलना चाहता है।
कोरा कागज कुछ कहना चाहता है।

