जावेदाँ है कोई
जावेदाँ है कोई
ना गिला है कोई, ना वफा है कोई,
ना बेवफा है कोई,
फिर भी याद कर के दिल दुखा है,
जैसे दिल का हिस्सा है कोई।
ना तविल [ लम्बा] है सफ़र ,
ना कलील [छोटा] है वक्त ,
ना राहगूजार है कोई,
फिर भी राह में जुदा हुआ है,
जैसे राह का हमराही है कोई।
ना शायरी कोई, ना नज़्म कोई,
ना ग़ज़ल कोई,
फिर भी खत में टूटा हुआ है,
जैसे सफ (पंक्ति) का हर्फ (शब्द)है कोई।
ना दिन है कोई, ना धूप है कोई,
ना छाव है कोई,
फिर भी शाम मे रुठा हुआ है,
जैसे रात का ख्वाब है कोई।
ना लफ़्ज़ है कोई, ना अवराक(पन्ना) है कोई,
ना कलम है कोई,
फिर भी कहानी में मिला हुआ है,
जैसे किताब का किरदार है कोई।
ना सवाल है कोई , ना बवाल है कोई,
ना मलाल (रंजीदा)है कोई,
फिर भी जिन्दगी में जश्न ए जवाब है,
जैसे जुगनूओ मे जावेदाँ (अमर)है कोई !!
