एक तरफा इश्क
एक तरफा इश्क
आंखें वो राह तकती है
तेरे एक दीदार के लिए
दिल महक उठता है
तेरी एक मुस्कुराहट के लिए
लफ़्ज़ खुश्क से हुए
ना देखी एक झलक तेरी जो
वो काले रंग के कपड़ों में
अब तो बैठी हूं मुसाफिर सी
अनजान- ओ- सुनसान सड़को पे
इंतज़ार है उस मंजिल का
जो ना कभी मिलनेवाली है
खोई सी हूं फिर भी में तो
जहां सफर तो ना हमराही है
जानती हूं कि नहीं जानते तुम
इस काले रंग से इश्क को
जहां तुम ठहेरे एक चांद से
हम वो काला खाली आसमां
ना सुनोगे हमारी कोई बात
ना कहोगे कभी हमें कोई बात
फिर भी कहेंगे हम कुछ राज़
की कहेनो को बस थी एक
ही वो बात - व - मुलाक़ात
की ना करना तुम प्यार या
ना करना मोहब्बत हमसे
रूठते रहेंगे फिर भी हम तुमसे
मिलते रहेंगे हम उस रात को
बातें करते रहेंगे उस रात मैं
और सुनते रहेंगे उस रात को
जो बीती हो बस तेरे मेरे ही
एक हसीन से ख़वाब मे
जहां तुम तुम नहीं हम हम नहीं
हम दोनों होंगे एक ही हम
खामोशियों में होगा एक ही रंग
जिसमे हम तुमसे करेंगे बस
काले रंग वाला इक तरफा इश्क
जिसमें ना होगी कोई भी रीत
होगी हर तरफ मेरी ही जीत।

