दिखावटीपन
दिखावटीपन
दिखावट पे न जाओ, ऐ दोस्तों!
हक़ीक़त में इंसान की क्या हैसियत,
उसे ज़रा खुली आँखों से परखो...
तभी तुम्हें असलियत का खुलासा होगा!!!
ये दिखावट की दुनिया
बस चंद लम्हों की है!
आनन-फानन भागमभाग में ही
बेतहाशा लोग थकहार कर अपने
रास्ते ही बदल दिया करते हैं...!
यही तो है दिखावटीपन,
जिसके चलते अक्सर लोग
अपने ख्वाहिशों को
ताश के घर-सा बारंबार
बसाते-नेस्तनाबूद करते दिखते हैं...
ऐसी है क़शमक़श-भरी ज़िन्दगी!!!
यूँ बेमतलब दिखावे की कहकशों में
शामिल कई लोग रफ्ता-रफ्ता
अपनी सोच की बवंडर में
फँसते चले जाते हैं...
और आखिर एक अजीबोगरीब
अंधी गली में जाकर
अपने रास्ते भूल जाते हैं...।
ये भूलभुलैया है हरेक कोने में...
और रास्तों पर कई कंकड़-पत्थर भी हैं...
ज़रा संभलकर चलना, ऐ दोस्तों!
क्योंकि यहाँ नक़ाबपोश गद्दार अनगिनत हैं...
किस पर भरोसा करना है और किससे
दूरी बनाए रखना है, यही अग्निपरीक्षा है!
खुद को रोज़ाना एक बार सवाल ज़रूर करना, ऐ दोस्तों!
कि तुम्हारी मंज़िल का ठिकाना कहाँ है;
बेशक़ तुम्हें अपने दरियादिल की
आवाज़ सुनाई पड़ेगी...
और तुम अपने मक़सद पर
कामयाब हो पाओगे।