जूता जब काटता है
जूता जब काटता है
जूता जब काटता है।
तब ज़िंदगी काटना मुश्किल हो जाता है।
जूता जब काटना बंद कर देता है।
तब वक़्त काटना मुश्किल हो जाता है।
जब ज़िंदगी में दुख ही दुख मिलता है।
तो एक अपना भी ढूँढना मुश्किल हो जाता है।
जब ज़िंदगी में सुख ही सुख मिलता है।
तो हर कोई ऐरा गैरा भी अपना दिल हो जाता है।
जब क़िस्मत से धोखा मिल जाता है।
तो हर काम बहुत ही मुश्किल हो जाता है।
जब अच्छी क़िस्मत का साथ मिल जाता है।
तो हर काम का सही अंजाम हासिल हो जाता है।
जब कोई किसी से नफ़रत करता है।
तो उसका चेहरा भी देखना मुश्किल हो जाता है।
जब कोई किसी को चाहने लगता है।
तो उसके हर ख़्वाब ख़्याल में शामिल हो जाता है।
जब कोई किसी का बुरा करता है।
तो उसके लिए दुआ करना मुश्किल हो जाता है।
जब कोई किसी का अच्छा करता है।
तो उसकी हर दुआ पाने के क़ाबिल हो जाता है।
जब कोई किसी से प्यार करता है।
तो उसके दुख से मन हटाना मुश्किल हो जाता है।
जब कोई किसी से जलन करता है।
तो वही उसकी खुशियों का क़ातिल हो जाता है।
(शुरू की चार पंक्तियाँ प्रसिद्ध कवि मानव कौल जी की हैं)