"गुरु गोविंद सिंह"
"गुरु गोविंद सिंह"
अंधेरे से ले जाते, उजाले की तरफ
गुरु गोविंद सिंह थे, प्रकाशपुंज नभ
चिड़ियों से आप बाज लड़ा देते थे,
आप के करतब थे, गुरुजी गजब
आपका जन्मदिन ऐसे मनाते, हम
घरों को करते, रोशनियों से जगमग
आपका जन्मदिन कहते, प्रकाश पर्व
आपने चलना सिखाया, रोशनी तरफ
आप थे, सिक्खों के गुरु जी दशम
आपने मुगलों को सिखाया, सबक
धर्म खातिर शहीद हुए, साहिबजादे
उनकी याद में मनाते, हम बालदिवस
गुरु गोविंद सिंह थे, ऐसे सद्गुरु समर्थ
चिड़ियों नूं बाज, बनाते अजब-गजब
आपने, स्थापना की थी, खालसा पंथ
जिसमें धर्म ख़ातिर, लड़ते योद्धा सब
केश, कड़ा, कच्छा, कृपाण ओर कंघा
आपने बताया, पंच ककार का तप
अन्याय का आप तो प्रतिकार करो,
चाहे करवाना पड़े, अपना सर कलम
गुरुजी की जिंदगी, इसका उदाहरण
उन्होंने धर्म के खातिर लिया, जन्म
मुगलों के ख़िलाफ़ लड़े, जीवन भर
परिवार को किया, भारत माँ को अर्पण
चमतकौर के युद्ध में 42 सिक्खों ने,
10 लाख मुगलों को दिया था, पटक
अंधेरे से ले जाते, उजाले की तरफ
गुरु गोविंद सिंह, आप हो हमारे रब
आओ इनकी शिक्षा ग्रहण करे, सब
झूठ, अधर्म के बंद कर दे, सब लब।