"हो जा तू बड़े"
"हो जा तू बड़े"
जब-जब भी हुए हम यहां पर बड़े
यहां लोग जाने क्यों हो गये, लँगड़े
कुछ फैसले क्या लिए, हमने तगड़े
साये भी छोड़कर जाने पर जा अड़े
सबकी नजर में, तबतक ही सही रहे
जबतक की, उनकी ख्वाहिशें ढोते, रहे
लोगों के तब किसी काम के नहीं रहे
जब हमारे पास, पैसे कुछ भी नहीं रहे
बुढ़ापे से पूर्व जवानी में हो जा, तू बड़े
लोग शीशे तोड़ते, अक्स के करा, झगड़े
ठोकरें खाकर संभलने से तो अच्छा है,
ठोकर देनेवालों के ही फाड़ दे, तू कपड़े
इस ज़माने में रहना तू अकेले ही भले
पर दगाबाजों से रह, तू रहना कोसों परे
जुगनू की रोशनी, भले होती थोड़ी, पगले
पर घोंटती जरूर, वो काले दिलों के गले