"सूर्य पैगाम"
"सूर्य पैगाम"
उगता हुआ सूरज देता है, यह पैगाम
उठो ओर अपना कर्म करो, तुम इंसान
बिना जले नही होता है, कोई उजाला
तम वो मिटाता, जो होता बड़े दिलवाला
जैसे जलकर दीपक देता रोशनी, तमाम
वैसे तुम अंत तक उजाले का करो काम
पूरी शक्ति से कर्म तो करो, आप श्रीमान
लगन से कर्म करोगे, झुका दोगे, आसमान
जैसे सूर्य रोशनी मिटाती, तम खानदान
वैसे सच्ची जुबां मिटाती, झूठ का निशान
जिंदगी में यदि कमाना, तुम्हें कोई नाम
मेरी तरह कर्म करो, तुम भी सुबह-शाम
जो जलता है, दूसरों के लिए आठो याम
खुदा भी करता उनका तो, यहां सम्मान
परोपकार को कमजोरी न जान, तू इंसान
यह हमारे लिए एक ऐसा अद्भुत वरदान
जो ला सकता है, पत्थरों के भीतर जान
आखिर में उस चेहरे पर रहती, मुस्कान
जिसने किया हो, परहित का कोई काम
मरकर भी उसकी तो जिंदा रहती, पहचान
जो चंदन जैसे करता निःस्वार्थ खुशबू दान