जिसने जीवन गुजारा हो ईमान पे राम बसते हैं तब उसकी हर सांस में जिसने जीवन गुजारा हो ईमान पे राम बसते हैं तब उसकी हर सांस में
क्या करूँ वक्त नहीं मिलता, बस अपनी जिंदगी में उलझा रहता हूं, क्या करूँ वक्त नहीं मिलता, बस अपनी जिंदगी में उलझा रहता हूं,
बड़ी मुश्किल से काबू पाया है .! अपने दिल के जज्बातों पर बड़ी मुश्किल से काबू पाया है .! अपने दिल के जज्बातों पर
व्यर्थ चिंतित होकर सारा दिन खोजता रहता हूँ हल व्यर्थ चिंतित होकर सारा दिन खोजता रहता हूँ हल
सुबह की अलकों में उलझा उलझा सा. सुबह की अलकों में उलझा उलझा सा.
बीच डगर से! जिधर जाऊं उधर फड़फड़ाया। बीच डगर से! जिधर जाऊं उधर फड़फड़ाया।