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Manoj Kumar

Action Inspirational Others

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Manoj Kumar

Action Inspirational Others

मकड़ी का जाल

मकड़ी का जाल

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हे! संसार तू है मकड़ी का जाल!

तेरे जाल में, मैं फंसा हुआ और उलझा हुआ।

तू है अनमोल रेशम की माल।

हे! संसार तू है मकड़ी की जाल।


ऊपर देखूं आकाश की छाया!

नीचे देखूं तपती है काया।

निकलूँ किधर से!

बीच डगर से! जिधर जाऊं उधर फड़फड़ाया।

कैसे? जाऊं लेकर अपना चाल।

हे! संसार.......।


मित्र - विभा दिखाए निशाना!

मैं कहता मान लें तू कहना।

देह से पसीना होने लगा!

मैं सिर तक अभिषेक करने लगा।

टूट गया पद मेरा न चल पाया!

फिर कर दिया अश्रु का धमाल।

हे! संसार तू है मकड़ी का  जाल।।



साहित्याला गुण द्या
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